पॉलिटिकल रिजर्वेशन s c s t का (आरक्षण)खत्म करें नहीं चाहिए किसी भी चुनाव में सुरक्षित सीटे। चुनावी आरक्षण देना देश के साथ गद्दारी करना है।
“””राज रतन अंबेडकर“”””
संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के परपोते राज रतन अंबेडकर, का कहना है कि पॉलिटिकल रिजर्वेशन बंद होना चाहिए। क्योंकि पॉलिटिकल रिजर्वेशन से नालायक नेता निकलते हैं। जैसे रामदास अठवले, उदित राज, पासवान ,जैसे नेता निकलते हैं, जिनकी लगाम मनु वादियों के हाथो में होती हैं। उनके इशारे और सहारे पर दुम हिलाते रहते हैं। जिस वर्ग से वे जीत कर जाते हैं। उस वर्ग के हित के लिए कुछ भी नहीं करते हैं । उनके हितों पर किया जाने वाला कुठाराघात भी उन्हीं के चलते सफल हो जाता है।अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, वर्गों को अगर सही मायने में समाज और विकास के हर क्षेत्र में ऊपर उठाना है। तो इनको *नौकरियां और शिक्षा में ही रिजर्वेशन मिलना चाहिए, वहां से वे पढ़ लिखकर संपन्न होकर अंबेडकर के सिपाही निक लेगे ।आजादी के समय से कांग्रेस बीजेपी ने तो बहुत आरक्षण का ढिंढोरा पीटा। लेकिन आज तक आरक्षण के हिसाब से 99% अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, को इसका लाभ नहीं दिया गया है। उनके कोटे को खाली रखा गया है। उत्तर प्रदेश में सिर्फ मायावती के अलावा अभी तक किसी सरकार ने उनके *बैक लॉन्ग* को भरने की कोशिश भी नहीं किया।*अब तो मोदी सरकार तो नौकरियों को ही समाप्त कर दे रही है। सभी देश के उपक्रमों को प्राइवेट करते जा रही है। यानी कि ना रहे ,बांस ना बजे बांसुरी, अपने राजनीतिक स्वार्थ के पूर्ति के लिए 10 साल के लिए बना पॉलिटिकल रिजर्वेशन (आरक्षण) कांग्रेस ने लगातार आगे बढ़ाते रही, वही कार्य मोदी की भाजपा सरकार भी कर रही हैं ।अभी-अभी थोड़ा दिन पहले ही राजनीतिक आरक्षण को आगे बढ़ा दिया गया ताकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की आरक्षित सीटों से चमचा पैदा होते रहे और उनको मनुवादी ,गद्दार नेता, अपने इशारे पर नचाते रहे। जो जो वंचित शोषित वर्गों के लिए पतन का कारण है। और देश के लिए भी दुर्भाग्यपूर्ण है। सही मायने में अगर भारत को सोने की चिड़िया बनाना है तो शिक्षा शक्ति संपत्ति से वंचित किए गए दलित शोषित समाज को शिक्षा और सर्विस में आरक्षण दे। इनको ग्राम पंच से लेकर संसद सदस्य बनने तक का कोई भी सीट रिजर्वेशन के तहत ना दे। सर्विस और शिक्षा में आरक्षण देकर के इनको संपन्न बनाकर सभी के बराबर लाया जा सकता है। संविधान में तो इसकी व्यवस्था भी की गई है लेकिन आजादी के बाद से सभी महत्वपूर्ण पदों पर मनुवादी लोगो का वहां पर कब्जा रहा है। उन्होंने बार-बार आ कुशल बता करके इन वर्गों की फाइलों को ही दबाने और लौटाने का कार्य किया है।जिससे इनके नोकरियों का बैक लांग खाली पड़ा है ,(सीटेनहीभरी गई)99% जगह आज भी खाली हैं।