भिलाई 2 नवंबर वेब वार्ता ।हरे कृष्ण मंदिर सेक्टर-6 में गोवर्धन पर्व अत्यंत धूम-धाम से मनाया गया। इस पर्व में 1000 से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट महोत्सव के महत्व के बारे में बताते हुए श्री व्योमपाद दास अध्यक्ष हरे कृष्ण मूवमेंट भिलाई ने बताया कि भगवान कृष्ण के कहने से वृन्दावन वासियों ने इन्द्र की पारांपारिक पूजा को बदलकर गोवर्धन की पूजा करने का निश्चय किया। इससे क्रोधित होकर इन्द्र ने प्रलय काल के सामंतक मेघों द्वारा वृदांवन पर घनघोर वर्षा की। वृन्दावन वासियों की रक्षा के लिए कृष्ण ने अपनी छोटी उँगली पर 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को धारण किया और वृन्दावन वासियों को शरण दी। बाद में इन्द्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान् श्री कृष्ण से क्षमा याचना की।इस लीला के द्वारा भगवान् ने स्थापित किया कि जो भी भगवान् कृष्ण की पूजा करता है उसे अन्य किसी देवता की आराधना करने की आवश्यकता नहीं है। श्रीमद् भागवतम् दशम् स्कंध में उद्धृत गोवर्धन लीला में भगवान् बताते हैं कि गोवर्धन पर्वत एवं उनमें कोई भी अंतर नहीं है।
भगवान् की इस दिव्य लीला के उत्सव को मनाने के लिए हरे कृष्ण मंदिर द्वारा गोवर्धन एवं अन्नकूट पर्व का आयोजन किया गया। उत्सव में लगभग 150 किलो हलवे एवं केक से गोवर्धन पर्वत तैयार किया गया। केक एवं कुकीज को मंदिर में ही भक्तों द्वारा बनाया गया जो कि शत-प्रतिशत शाकाहारी था। इसे भगवान् श्रीराधाकृष्ण को अर्पित किया गया । भगवान् श्री राधाकृष्ण की दिव्य आरती के साथ गोवर्धन अष्टकम् भजन को गाया गया । भगवान कृष्ण के गौपालक अर्थात् गोपाल रूप की पूजा की गयी। सभी गायों को बड़े ही सुंदर रेशमी वस्त्रों एवं घंटियों से सजाया गया। गौ-पूजा के साथ उन्हें पारंपरिक गुड़ रोटी खिलायी गयी। गायों को आगे रखकर सभी भक्तों ने गोवर्धन की परिक्रमा की। अंत में प्रसाद रूप में सभी भक्तों को विभिन्न व्यंजनों का वितरण किया गया। कार्तिक माह में भगवान् को किये जाने वाले दीपोत्सव का आयोजन किया तथा दामोदर आरती का गान हुआ ।