भिलाई.14 दिसंबर.वेबवार्ता.आईटीपी की समस्या से पीड़ित थी डोंगरगढ़ की निहाली टेम्भुरकर एम्स में हुआ अंगदान
दान के खून से चल रही थी जिंदगी, आखिरी सांस ली तो दो को अपनी किडनी देकर नया जीवन दे गई निहाली
6 इम्यू थोम्बोसाइटोपेनिया (आईटीपी) के संक्रमण से लड़ने के लिए निहाली को समय-समय। पर रक्त की आवश्यकता होती, जो उसे दान में मिलता था। एक दिन पहले एम्स में इलाज के दौरान उसने अंतिम सांस ली और अपनी दोनों किडनियों से डायलिसिस पर कष्टप्रद जीवन जी रहे दो लोगों को नया जीवन दे गई। डोंगरगढ़ निवासी निहाली टेम्मुरकर की किडनी का प्रत्यारोपण एम्स में भर्ती मरीजों को किया गया।
डोगरगढ़ निवासी अधिवक्ता संजय टेम्भुरकर ने बताया कि तीन बेटियों और एक पुत्र में 25 वर्षीय निहाली तीसरे नंबर की थी। प्रतिरक्षा तंत्र में समस्याओं से पीड़ित होने के बाद भी उसने बीएड, पीजीडीसीए और योगा की
पढ़ाई पूरी की। एमए अंग्रेजी की परीक्षा के साथ वहां सीजीपीएससी की तैयारी में जुटी हुई थी। सात दिसंबर को उसे इलाज के लिए एम्स में दाखिल किया था, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। पिता ने उसके अंगदान करने का फैसला लेकर अस्पताल प्रबंधन की अपनी इच्छा से
अवगत कराया। एम्स प्रबंधन ने सहमति मिलते ही तैयारी पूरी की और ऐसे दानवीर की प्रतीक्षा कर रहे दो मरीजों को बुलाकर ऑपरेशन की लंबी प्रक्रिया के बाद निहाली की दोनों किडनी उनके शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया। पिता संजय ने बताया कि बेटी निहाली का रक्त पिछले 14 साल से हर तीसरे चौथे महीने में बदलना पड़ता था।
चार माह पहले हुआ था अंगदान
इसके पूर्व चार महीने पहले राजनांदगाव की महिला के पचपेदी नाका स्थित अस्पताल में बेनडेड होने के साथ उनके अनी का प्रत्यारोपण दूसरे मरीजों के शरीर में किया लया था। लिवर के लिए प्रदेश में तय समय में मरीज नहीं मिलने पर उसे पुणे के अस्पताल भिजवाया गया था। लिवर को पलाइट से पुणे भेजने के लिए पचपेदी नाका के अस्पताल से विमानतल तक वीन कोरीडेर बनया आया था। वहां के अस्पताल में सर्व सरीज को लिवर प्रत्क्रोधित किया गया था महिला की एक किडनी संबंधित अस्पताल और दूसरी एम्स के मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया था। इनके पूर्व एक 11 साल के बचे के खेनडेड होने के बाद परिवार वालों ने उसके अंग दूसरे सरीजों को दाल में दिया था।
13 माह में छह से मिली 15 को नई जिंदगी
नवंबर 2023 से 13 दिसंबर 2014 के बीच विभिन्न अस्पताल में इलाज के दौरान बेनडेड हुए छह लोगों के अंगों के माध्यम से अब तक 15 लोगों को जया जीवन मिला है। राज्य अंनः एवं उत्तक प्राधिकरण के मेडल अधिकारी डॉ कमलेश जैन संचालक डॉ. विनीत जैन ने बताया कि
अंग प्रत्यारोपण के लिए राज्य के सरकारी तथा बीस निजी अस्पतालों को पंजीकृत किया गया है। देवडेड के अलावा बीते 13 माह में लाइव ट्रांसप्लांट के तहत 146 कटरीजों को जता प्रत्यारोपित किया गय है। राज्य में अब तक 1140 लोकों ने अंशदान करने की शपथ ली है।