तपोभूमि में मनाई गई बुद्ध पूर्णिमा

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तपोभूमि में हजारों लोगों की उपस्थिति में मनाया गया बुद्ध पूर्णिमा महोत्सव।

तपोभूमि में हुई 60 श्रामनेर एवं श्रामनेरी के रूप में धम्म दीक्षा।

बौद्ध समाज के 25 परिवारों ने मिलकर पूज्य भदन्त धम्मतप जी को नई अर्टिगा कार दान की।

।सीजी वेब वार्ता। 30मई।मेत्ता संघ जिला राजनांदगांव द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी शिवनाथ नदी किनारे स्थित तपोभूमि में पूज्य भदन्त धम्मतप जी अध्यक्ष मेत्ता संघ के अध्यक्षता में त्रिविध पावन पर्व (बुद्ध पूर्णिमा) के अवसर पर संयुक्त जिला स्तरीय बौद्ध महोत्सव का आयोजन किया गया एवं दिनांक 23 मई 2024 बुद्ध पूर्णिमा से दिनांक 27 मई 2024 माता रमाई स्मृति दिन तक श्रामनेर एवं श्रामनेरी ध्यान साधना शिविर का आयोजन किया गया। बौद्ध समाज के 25 परिवारों ने मिलकर पूज्य भदन्त धम्मतप जी को नई अर्टिगा कार दान की।
कार्यक्रम के आयोजक एवं तपोभूमि के संस्थापक भदन्त धम्मतप जी ने उपस्थित जन समुदाय को उपदेश देते हुये कहे कि भगवान गौतम बुद्ध के जीवन की घटना त्रिविध पावन पर्व कहलाती है, भगवान गौतम बुद्ध ने मानवीय जीवन का आधार स्तंभ पंचशील को बताये है, शीलों का आचरण करने वाला व्यक्ति सुख पूर्वक सोता है एवं सुख पूर्वक जागता है। संस्कारधानी राजनांदगांव में पहली बार एक साथ 60 उपासक – उपासिकाओं ने ली तपोभूमि में श्रामनेर एवं श्रामनेरी के रूप में पूज्य भदन्त नागसेन महाथेरो भंडारा से धम्म दीक्षा। मेरे द्वारा किये जा रहे धम्म के कार्यो को देखते हुए बौद्ध समाज के 25 परिवारों ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर नई अर्टिगा कार दान की ताकि गांव घर, शहर कस्बे से लेकर राज्य तक पहुंच सके धम्म। पूज्य भदन्त धम्मतप जी ने आगे कहा दिन प्रतिदिन शिवनाथ नदी तट स्थित तपोभूमि (ऑक्सीजोन) भंवरमरा में अपने भीतर के दुःखों को दूर करने के लिए लोग उपस्थित होते है। हमारे द्वारा इस क्षेत्र के विकास एवं पर्यटक क्षेत्र का दर्जा मिलाने के लिये निरन्तर प्रयास किया जा रहा है। मै प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से धम्म के कारवां को आगे बढ़ाने के लिए दान पारमिता की सभी दानदाताओं के प्रति मंगलकामनाएँ करता हूँ, साथों साथ कार्यकर्ता एवं उपस्थित जनों के प्रति भी मंगलकामनाएँ व्यक्त करता हूँ।
मुख्य अतिथि पूज्य भदन्त नागसेन महाथेरो भंडारा ने कहा कि भिक्खु धम्मतप के कार्यो से छत्तीसगढ़ बुद्ध शासन दिखाई दे रहा है मै काफी सालों से छत्तीसगढ़ में आ जा रहा हूँ यहा भिक्खुयों की संख्या कम है फिर भी भिक्खु धम्मतप एवं उनके उपासक उपासिकाओं के महेनत को देखकर मुझे बहुत आनंद होता है तपोभूमि में मेरे द्वारा 60 श्रामनेर एवं श्रामनेरी की दीक्षा दी गई, श्रामनेर एवं श्रामनेरी भिक्खु धम्मतप के मार्गदर्शन में पांच दिनों तक धम्म का प्रशिक्षण लेंगे, मेरे देखने में यह आ रहा है की छत्तीसगढ़ में यह पहली बार इतनी बड़ी संख्या में एक साथ श्रामनेर एवं श्रामनेरी के रूप में दीक्षा विधि हुई।
आयोजन को सफल बनाने के लिए संदीप कोल्हाटकर, कुणाल बोरकर, संजय हुमने, सागर रामटेके, शुभम रावत, कन्हैयालाल खोब्रागड़े, आयु. बुद्धिमित्रा वासनिक, आयु. नन्दा मेश्राम, आयु. माया वासनिक, आयु. वंदना मेश्राम, आयु. पुनम कोल्हटकर आदि ने अथक परिश्रम किया।

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