दुर्ग 7 दिसंबर वेबवार्ता।डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर वाचनालय जवाहर नगर दुर्ग में महिला सशक्तिकरण संघ प्रदेश एवं दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया(भारतीय बौद्ध महासभा) जिला शाखा दुर्ग के संयुक्त तत्वावधान में विश्व रत्न बोधिसत्व डॉक्टर बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जी की 68वीं महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय ट्रस्टी आयुष्मान एसआर कानडेबौध्द, महिला सशक्तिकरण संघ की प्रदेश अध्यक्ष प्रज्ञा बौद्ध भारती बौद्ध महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष आयुष्मान संजय सेंद्रे साहब जिला शाखा के अध्यक्ष सी के डोंगरे ने तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा एवं भारतीय संविधान के शिल्पकार विश्व रतन डॉक्टर बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जी के छायाचित्र पर माल्या अर्पण कर दीप प्रज्वलित किये। तत्पश्चात विपश्यना सहायक जेपी बागडे जी के द्वारा सामूहिक त्रिशरण पंचशील एवंबुद्ध वंदना का सामूहिक पाठ करवाया गया। उपस्थित बौद्ध उपासक एवं उपासिकाओं को जिला अध्यक्ष सी के डोंगरे, बौद्ध महिला संघ की महासचिव प्रीतिमा गेडाम, प्रमिला राऊत, सुनंदा गजभिए जिला संस्कार प्रभारी, बौद्ध महिला संघ की उपाध्यक्ष आयुष्मति इंदु ढोक एवं प्रदेश उपाध्यक्ष आयुष्मान संजय सेन्दरे
साहब ने बाबा साहब के द्वारा देश के प्रति योगदान को स्मरण करते हुए अपनी आदरांजलि अर्पित किए अपने उद्बोधन में बताया कि बाबा साहब जुल्म करने वाली प्रवृत्तियों के खिलाफ विद्रोह के प्रतीक थे। महिला सशक्तिकरण संघ की प्रदेश अध्यक्ष प्रज्ञा बौद्ध ने अपने उद्बोधन में आदरांजलि अर्पित करते हुए बताया_बाबा साहब कहते हैं कि “लोग मुझे अभी समझनहीं पाए हैं जिस दिन ये लोग मेरे विचारों को अच्छी तरह से पढ़ेंगे, जानेंगे और समझेंगे शायद तब तक मैं इस दुनिया में नहीं रहूंगा”। बाबा साहब सच्चे राष्ट्रभक्त थे भारतीय सामाजिक विषमता के विरुद्ध वह जीवन भर संघर्ष करते रहे हिंदू कोड बिल के जरिए महिलाओं को समानता का अधिकार, श्रमिकों को , भारतीयों को संविधान के द्वारा स्वतंत्रता समता बंधुता और न्याय का हक दिलाया। आज हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम सभी को उनके मिशन को मिशन को आगे बढ़ाने का संकल्प लें। राष्ट्रीय ट्रस्टी एस आर कानडे ने अपने उद्बोधन में कहा कि बाबा साहब अंबेडकर आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके विचारों की प्रासंगिकता दिनों दिन बढ़ती जा रही है आज देश की ज्वलंत समस्या का समाधान उनके दर्शन में है। डॉ आंबेडकर संघर्ष के प्रतीक थे उनकी लड़ाई बाहरी लोगों से कम अपने ही भारतीयशोषक वर्ग से अधिक थी।वे ब्रिटिश के साथ स्थानीय जातिय वर्चस्व के उपनिवेशवाद को खत्म करना ज्यादा जरूरी मानते थे। इस कार्यक्रम में, जेपी बागडे, नरेंद्र डोंगरे आर एन लोखंडे , संजय सेन्दरे,सी, के डोंगरे एस आर कानडे, प्रज्ञा बौद्ध शोभा जमुलकर, वंदना घरडे नूतन पखिडे, प्रमिला राऊत सुनंदा गजभिए, पुष्पा भोयर रंजना श्याम कुंवर , रंजना वालवानदरे, इंदु ढोक, चंद्रभागा टैंभूरकर मंजुला गजभिए इत्यादि लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रितीमा गेडाम नेऔर रंजना वालवानदरे कोषाध्यक्ष ने आभार व्यक्त किया।